डीएनए अनुसंधान से भी प्रमाणित हो गया,राखीगढ़ी डीएनए अनुसंधान से भी सिद्ध हुआ कि ब्राम्हण विदेशी है।-डा. विलास खरात

        राखीगढ़ी सभ्यता यह इंडस सिविलाजेशन का हिस्सा है।भारतीय पुरातत्व विभाग अब तक ब्राम्हणो को पुरातात्विक आधार पर ब्राम्हणो को विदेशी बता रहा था अब डीएनए अनुसंधान से भी प्रमाणित हो गया,राखीगढ़ी डीएनए अनुसंधान से भी सिद्ध हुआ कि ब्राम्हण विदेशी है।इसके बावजूद आरएसएस का मोहन भागवत के इशारे पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने राखीगढ़ी स्थल पर बोर्ड लगाकर लिखा गया है कि यह वैदिक सरस्वती सभ्यता है। यानी ब्राम्हण अपने आप को जोर जबरदस्ती से भारत के मूलनिवासी बता रहे है

        राखीगढ़ी सभ्यता यह इंडस सिविलाजेशन का हिस्सा है।भारतीय पुरातत्व विभाग अब तक ब्राम्हणो को पुरातात्विक आधार पर ब्राम्हणो को विदेशी बता रहा था अब डीएनए अनुसंधान से भी प्रमाणित हो गया,राखीगढ़ी डीएनए अनुसंधान से भी सिद्ध हुआ कि ब्राम्हण विदेशी है।इसके बावजूद आरएसएस का मोहन भागवत के इशारे पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने राखीगढ़ी स्थल पर बोर्ड लगाकर लिखा गया है कि यह वैदिक सरस्वती सभ्यता है। यानी ब्राम्हण अपने आप को जोर जबरदस्ती से भारत के मूलनिवासी बता रहे है

        ब्राम्हणो के विरोध के कारण पूरे भारत में डीएनए अनुसंधान पर जिज्ञासा पैदा हुई और लोग बामसेफ से जुड़ रहे है।मूलनिवासी राष्ट्रवाद का उदय हो गया है।डा. विलास खरात जी ने राखीगढ़ी सभ्यता यह मूलनिवासियों की सभ्यता है यह प्रमाणों के साथ बताया और हर साल राखीगढ़ी स्थल पर मूलनिवासियों की महान सभ्यता को अभिवादन करने आएंगे यह भी बताया। 

           ब्राम्हणो के डीएनए ग्रुप का नाम है R1a1 और भारत के तमाम मूलनिवासियों के डीएनए ग्रुप का नाम है L3 MN साथियों ब्राम्हण भारतीय नही है बल्कि वे विदेशी है।विदेशी ब्राम्हणो ने देश पर जो नाजयाज कब्जा किया है उसे हटाना होगा।9 साइबर के भारत बंद के मुद्दे पर जो भारत बंद का ऐलान किया है उसमें अब राखीगढ़ी का मुद्दा भी जोड़ दिया जाता है।

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