मुसलमानों ने एससी, एसटी और ओबीसी को हिंदू बनाकर अल्पसंख्यक ब्राह्मणों को बहुसंख्य बनाया, वामन मेश्राम का तंज

मिसअंडरस्टैंडिंग की वजह से बहुत सारी समस्याएं पैदा हो रही है. मुस्लिम लोगों की सबसे बड़ी मिसअंडरस्टैंडिंग यह है कि जो मुस्लिम नहीं है वह सारे हिंदू है. यह पहले नंबर की मिसाइल स्टैंडिंग है. इस मीस अंडरस्टैंडिंग ने मुसलमान के सामने बहुत बड़ा संकट खड़ा कर दिया है 

   नई दिल्ली : मुसलमान लोगों द्वारा यहां के एससी, एसटी और ओबीसी के लोगों को हिंदू कहे जाने पर भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम ने तंज कसा है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमान समुदाय के लोगों द्वारा इस देश एससी, एसटी और ओबीसी लोगों को हिंदू बनाकर उन्होंने अल्पसंख्य ब्राह्मणों को बहुसंख्य बनाया है. रविवार को उन्होंने यह बातें कहीं. 1 अक्टूबर 2023 को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा के राष्ट्रीय अधिवेशन में वामन मेश्राम बोल रहे थे.

        उन्होंने आगे कहा कि मिसअंडरस्टैंडिंग की वजह से बहुत सारी समस्याएं पैदा हो रही है. मुस्लिम लोगों की सबसे बड़ी मिसअंडरस्टैंडिंग यह है कि जो मुस्लिम नहीं है वह सारे हिंदू है. यह पहले नंबर की मिसाइल स्टैंडिंग है. इस मीस अंडरस्टैंडिंग ने मुसलमान के सामने बहुत बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. यही नही तो इसने एससी, एसटी और ओबीसी के लोगो सामने भी मुसलमान ने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. यानी मुसलमानों ने अपने साथ-साथ एससी, एसटी और ओबीसी के सामने संकट खड़ा कर दिया है. अगर यह  मिसअंडरस्टैंडिंग मुस्लिम लोग दूर कर दें कि जो मुस्लिम नहीं है वह सारे के सारे हिंदू है. अगर केवल ऐसा सोचना बंद कर दे तो 50 फीसदी समस्या खत्म हो जाएगी.


वामन मेश्राम ने आगे कहा कि इस देश में ब्राह्मणों की संख्या 3.5 फीसदी है. अगर 3.5 फीसदी लोग चुनाव लड़े तो लोकसभा और विधानसभा में बहुत दूर की बात है ग्राम पंचायत में भी ब्राह्मण चुनकर नहीं आ सकता. यानी ब्राह्मण ग्राम पंचायत में चुनाव नहीं जीत सकता. जो ग्राम पंचायत में चुनाव नहीं जीत सकता उन ब्राह्मणों ने कांग्रेस का नाम लेकर 57 साल केंद्र में सरकार बनाई. और वे 57 साल तक सरकार बनाते रहे चलते रहे और हर चुनाव में मुस्लिम लोग उन्हें साथ देते रहे. मुस्लिम लोग 3.5 फीसदी लोगों की सरकार सारे देश में बनाते रहे.


        भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि आप में से कुछ लोगों को ऐसा लग सकता है कि मैं शायद मुसलमान को ब्लेम देने के लिए कह रहा हूं. मगर मै कोई भी बात उन्हें दोष देने के लिए नहीं कह रहा हूं.गया इस सच्चाई को जिस दिन मुस्लिम स्वीकार कर लेगा तो परिवर्तन शुरू होगा. अगर मान लो 3.5 फीसदी ब्राह्मण लोगों ने कांग्रेस नाम की तंजीम बनाई. उनको ही 57 साल तक दूसरे लोगों के साथ साथ मुस्लिम लोग चुनते रहे. मैं यह इसलिए कह रहा हूं कि ब्राह्मण जालिम है. कई हजार साल का जालिम है. जालिम को चुनकर मजलु कैसे खुश रह सकते है.


वामन मेश्राम ने आगे कहा कि जालिम को अगर आप ताकतवर बनाओगे जब की वो पहले से ही ताकतवर है. उसको अपने और ताकत बख्श दी. जालिम का चरित्र है ना वो हजारों सालों से ऐसा कर रहा है. इसलिए लोग उसको जालिम कह रहे है. अगर आप लोगों ने उसको ताकद बक्श दी. आम ऐसा कह सकते हो कि हम अकेले ने थोडी उसे ताकद बक्श दी. आप लोगों ने भी कर दी. इसका मतलब आप ऐसा मान रहे हैं हमने गलती की तो आपने भी गलती की.


        उन्होंने कहा कि मैं आप लोगों को यह कह रहा हूं कि मुसलमान को 22 फीसदी पॉलिटिकल रिजर्वेशन एससी/एसटी को है. जो दो-तीन हजार साल से इलिटरेट रखे गए हैं वो अनपढ़ गवार रखे गए है. आपकी भाषा में कहां जाए अनपढ़ गंवार कमजोर शब्द है. इससे बढ़िया शब्द है जाहील. अगर आप लोगों को मैं अनपढ़ गवार कहूंगा तो आपको बात समझ में नहीं आएगी. हम तो जालिम लोग है ना. क्योंकि मजलुमों का साथ दो और जालिम का विरोध करो, ऐसा अल्लाह ताला का कोई आदेश हमारे पास है नहीं. आपके पास अल्ला ताला का आदेश है, वह लिखित किताब है, लिखित आदेश है, हम लोगों ने तो जाहिलत गलती की थी. हम लोगों ने जो गलती की वो जाहील होने की वजह से की.


        उन्होंने कहा कि लेकिन आप लोगों ने गलती अल्लाह ताला का आदेश होने के बावजूद भी की. अल्लाह ताला की किताब कुरान में लिखित आदेश होने के बावजूद भी आप लोगों ने बहुत बड़ी गलती की है. हमारे पास तो ऐसी कोई किताब है नहीं. मैं उसे इस बात के आधार पर कह रहा हूं कि आपके पास तो एक बड़ी गाइडलाइन है. लिखित है की मजलुमों को साथ देना चाहिए. आजमाई हुई बात है. जब मजलुम मजलुम का साथ देता है तो इत्तेहाद कायम होता है. जब इत्तेहाद कायम होता है तो दुनिया में जालिम परास्त होता है.इसके लिए मुसलमान को पहल करना चाहिए था.


        वामन मेश्राम ने पूछा कि पहल करने से क्या होगा? पहल करने के लिए मुसलमान को क्या करना पड़ता.उन्होंने कहा कि मान लो मुसलमान की संख्या 15 फीसदी है. 15 फीसदी ही इकठ्ठा होना चाहिए था. उसके एक भी गैर मुसलमान आप के साथ नहीं आता. मगर आप सिद्धांत के लिए 15 फीसदी इकट्ठा हो गए. मजलुमों का इत्तेहाद कायम करने के लिए इकट्ठा हो गए. ऐसे में आखिर में अल्लाह ताला के पास जवाब देने के लिए तो है. अगर वामन मेश्राम आपको जवाब मांग नहीं रहा हो तो आपको जवाब देना नहीं है.यहा बचने का चांस है. लेकिन अल्लाह ताला के पास क्या होगा. वो तो सब जानता है. वहा आप कैसे जवाब देंगे. यहां मैं समस्या खड़ी कर रहा हूं, वहां अल्लाह ताला आखिर में समस्या खड़ी कर देगा.


बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा आप सवाल खड़ा कर रहे हो. वामन मेश्राम ने कहा कि मै मजलुम हू.मुझे सवाल खड़ा करने का हक है. यह भी अल्लाह ताला ने कहा है. इसलिए मैं आपको यह बात याद दिला रहा हूं कि जो एससी, एसटी और ओबीसी के लोग है, वे हिंदू नहीं है. आप बोलोगे कि क्या बात कर रहे हो. संविधान में जिसे शेड्यूल कास्ट कहां गया वह ब्राह्मणों के द्वारा बनाए हुए अछूत लोग हैं. जो छूने लायक नहीं है. अब आप बताए कि जिन ब्राह्मणों ने हमे छूने लायक नहीं माना उसका आप हिंदू कह रहे है. ब्राह्मण कम अत्याचार कर रहा है आप ज्यादा अत्याचार कर रहे हो.


         ब्राह्मणों ने हमें अछूत बनाया यानी छूने लायक भी नहीं समझा. जिन्होंने हमे छूने लायक भी नहीं समझा, उनके दृष्टि से हम हिंदू नहीं है. तो आप हिंदू क्यों कह रहे हो? थोड़ी देर के लिए मैं आप अगर हमें हिंदू कहते और उससे अगर आपको फायदा होता, कहते तो और ठिक बात थी. अगर हमें ब्राह्मणों के कैंप में ढकेल कर आप अपना फायदा कर लेते अपना. लेकिन हमे ब्राह्मणों के कैंप में धकेल कर इससे आपका क्या फायदा हुआ? जो 3.5 परसेंट ब्राह्मण थे 15 फीसदी शेड्यूल कास्ट को अपने हिंदू कह कर ब्राह्मणों के कैंप में धकेल दिया. फिर ओबीसी को हिंदू कह कर धकेल दिया. इतने सारे लोगों को अपने 3.5 परसेंट ब्राह्मणों के कैंपेन हिंदू कह कर धकेल दिया. इससे आपने 3.5 फीसदी ब्राह्मण को 80 फीसदी बना दिया. आपको इससे क्या फायदा हुआ?


        भारत के संविधान के अनुसार हर 21 साल के व्यक्ति को वोट देने का अधिकार दिया गया. जिनके साडेतीन वोट थे, आपने हमको ब्राह्मणों की कैंप में हिंदू के नाम पर धकेलने की वजह से उनके 80 वोट हो गए. इन सबको आपने हिंदू बनाया. फिर यही 3.5 फीसदी ब्राह्मण एससी, एसटी और ओबीसी को मुसलमान के बस्ती पर हमला करने के लिए भेज देता है और वह खुद घर में रहता है. क्योकि आपने उनको हिंदू बना दिया और हिंदू बनकर वह आपके कैंप पर हमला कर रहे है. हमें हिंदू बनाने से आपका इतना ज्यादा नुकसान हुआ.


        वामन मेश्राम ने कहा कि मैंने कई मुसलमानों को एससी, एसटी और ओबीसी के साथ में मिलकर काम करने के लिए कहा तो उनका कहना है कि यही एससी, एसटी और ओबीसी के लोग हमारे घरों को जलाने के लिए आते है और आप कह रहे हो कि एससी, एसटी और ओबीसी के साथ मिलकर काम करों. यह संकट आप लोगों ने अपने लिए कैसे पैदा किया और उसका समाधान बता रहा हूं. अपने हमें हिंदू बनकर अल्पसंख्यक ब्राह्मणों को बहुसंख्य बना दिया. इससे कांग्रेस दिल्ली की सत्ता में पहुंची. फिर उसी बहुसंख्यक हिंदुओं को साथ में लेकर भाजपा सत्ता में पहुंची. आप लोगों ने अपने लिए कैसे भयंकर संकट खड़ा कर दिया है इसके बारे में मेरे अलावा कोई नहीं जानता. केवल मैं केवल जानता ही नहीं हूं आपके मुंह पर मैं अकेला ही भारत में बोल सकता हूं. इसके पीछे मेरी कोई दुर्भावना नहीं है.


        वामन मेश्राम ने कहा कि मैं ऐसा कह कर आपको जगाना चाहता हूं. यदि आप एससी, एसटी और ओबीसी को हिंदू कहना छोड़ दो. तो लोग कहते है कि वे खूद अपने आप को हिंदू कहते है. मेरा कहना है कि उनको जहन्नुम में जाने दो. आप अपने लिए सुधार करो. आप जाहिल लोगों की चिंता मत करो. मै इसे देख रहा हूं. यदि आप एससी, एसटी और ओबीसी लोगों को हिंदू कहना छोड़ दो तो अल्पसंख्यक ब्राह्मण 3.5 फीसदी ही रहेगा और रूलिंग क्लास नहीं बनेगा. आपके केवल ऐसा करने मात्र से. इससे मुसलमान का ही फायदा है.


        उन्होंने कहा कि शेड्यूल कास्ट के लोगों को अगर ब्राह्मण ने अछूत बनाया, इस सिद्धांत के आधार पर अछूत हिंदू नहीं है. दूसरा आदिवासियों को जंगलों में रहने के लिए मजबूर किया. उनको तो सिविल सोसाइटी में भी आने नहीं दिया. ओबीसी के लोगों वर्ण सिस्टम में शूद्र बनाया. शूद्र का मतलब है अधिकार वंचित. उनको अधिकार वंचित बनाया. जिनको अधिकार वंचित बनाया वह भी हिंदू नहीं है. यदि आप उनको हिंदू कहना छोड़ दो भारत में ब्राह्मणों को हिंदू- मुसलमान कहना बंद हो जाएगा. हिस्टोरिकली एससी, एसटी और ओबीसी के लोग हिंदू नहीं है. मुस्लिम लोगों ने यहां की प्रजा को हिंदू कहा, ऐसा गुजरात का ब्राह्मण दयानंद सरस्वती कहता है. बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक के पहले का ब्राह्मणों का सबसे बड़ा नेता दयानंद सरस्वती कहता है हिंदू यह मुसलमान की दी हुई गाली है.


        वामन मेश्राम ने कहा कि जब इंग्लंड में प्रौढ मताधिकार का कानून लागू हुआ. तब ब्राह्मणों को लगा कि हम लोग ब्राह्मण के नाम पर संगठन बना रहे हैं, हम तो 3.5 फीसदी है. इससे हमारा सत्यानाश हो जाएगा. ब्राह्मणों ने दांव पेच के तहत अल्पसंख्यक ब्राह्मणों को बहुसंख्य बनाना होगा. तब जाकर केंद्र में हमारी सरकार आएगी. तब हमारा वर्चस्व रहेगा. अन्यथा नहीं रहेगा. इसलिए ब्राह्मण ने हिंदू शब्द को आधार बनाकर संगठन बनाना शुरू कर दिया. यह काम उन्होंने 1916 से आगे करना शुरू कर दिया. 1916- 7 के आसपास इंग्लैंड में प्रौढ मताधिकार का आंदोलन शुरू हुआ. तब भारत ब्रिटिश इंडिया था. इसलिए पढ़े लिखे ब्राह्मण को लगा कि इंग्लैंड का यह कानून आज नहीं तो कल भारत में भी लागू होगा. इससे एससी, एसटी और ओबीसी को भी प्रौढ मताधिकार मिलेगा. वे संख्या के बल पर देश के हुक्मरान होंगे. अगर इनको हम हिंदू बनाते हैं तो इसका हम लोग ब्राह्मण का वर्चस्व स्थापित करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. इसलिए उन्होंने हमें हिंदू बनाने का काम शुरू किया.


भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जिन एससी, एसटी और ओबीसी को ब्राह्मण हिंदू कहते हैं उनको मंडल कमीशन में रिजर्वेशन देने का मामला आया तो विरोध करते है. इसका मतलब है उनको गुलाम के तौर पर हिंदू चाहिए. उनको अधिकार देने से वे ताकतवर बन जाएंगे. इसलिए देशभर में मंडल कमीशन के विरोध में जितना आंदोलन ब्राह्मणों ने चलाया उतना किसी ने नहीं चलाया. जिनको आप हिंदू कहते है ब्राह्मण उनको अधिकार देने के विरोध में है. इसका मतलब है हिंदू ब्राह्मणों के गुलाम बने हुए है. और उन्हें गुलाम बनाए रखना चाहते हैं.

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